मूल भाजपाइयों के अल्पसंख्यक होने का खतरा!

 


प्रदीप द्विवेदी. मोदी टीम बहुत तेजी से बीजेपी का कांग्रेसीकरण कर रही है, नतीजा यह है कि मूल भाजपाइयों का प्रतिशत लगातार कम हो रहा है और आनेवाले समय में बीजेपी में ही अल्पसंख्यक हो जाएंगे मूल भाजपाई!

जाहिर है, इसके कई ऐसे परिणाम होंगे जो बीजेपी की सियासी साख कोे धक्का पहुंचाएंगे....

एक- मोदी टीम ने संघ पृष्ठभूमि वाले आडवाणी जैसे अनेक बीजेपी नेताओं को पहले ही सियासी संन्यास आश्रम में भेज दिया है.

दो- कांग्रेस से बीजेपी में आए भ्रष्ट नेताओं की संख्या और असरदार भूमिका लगातार बढ़ रही है, जबकि मूल भाजपाइयों की भूमिका कमजोर पड़ रही है.

तीन- पश्चिम बंगाल में बीजेपी की ताकत बढ़ी, हालांकि सत्ता तो नहीं मिल पाई, लेकिन विपक्ष के नेता की भूमिका भी किसी मूल भाजपाई को नहीं मिली, मतलब- भविष्य में बंगाल में बीजेपी की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री मूल भाजपाई नहीं, टीएमसी से आया कोई नेता होेगा?

चार- बीजेपी के कांग्रेसीकरण से जहां संगठन पर मोदी टीम की पकड़ मजबूत होती जा रही है, वहीं, संघ पृष्ठभूमि के मूल भाजपाइयों का असर कम हो रहा है.

पांच- कांग्रेस के असंतुष्ट बीजेपी में आ रहे हैं, जिनका बीजेपी को कोई खास फायदा तो होना नहीं है, उल्टे कांग्रेस में असंतोष खत्म होगा, यही नहीं, बंगाल के नतीजों ने बता दिया है कि नेता भले ही दल बदल लें, सियासी समीकरण नहीं बदल सकते हैं.

सबसे बड़ी बात- इस बात की क्या गारंटी है कि सियासी समय बदलने पर येे दलबदलू नेता बीजेपी को नहीं छोड़ेंगे?

खबर है कि कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए हैं और उत्साहित मोदी टीम कुछ और कांग्रेसी नेताओं के स्वागत को आतुर नजर आ रही है!

शायद, मोदी टीम कोे योगी पर भरोसा नहीं है, उसे लगता है कि पश्चिम बंगाल की तरह यूपी में भी दलबदलू नेता सरकार बनवा देंगे?

सियासी सयानो का मानना है कि यदि मूल भाजपाई अब भी बीजेपी के कांग्रेसीकरण का विरोध नहीं कर पाए, तो उन्हें, उन नेताओं के जयकारे लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए, कभी जिनकी हाय-हाय के नारे लगाते थे!

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