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मिल्कीपुर, अयोध्या।
कोविड-19 के प्रसार को शीघ्रता से रोक लेने के उद्देश्य से जिलाधिकारी द्वारा नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को निगरानी समिति की बैठक किए जाने का फरमान ग्राम पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों की करतूतों के चलते हवा हवाई साबित हो रहा है। जिलाधिकारी द्वारा निगरानी समिति की बैठक करते हुए संक्रमण रोके जाने में सहयोग का आदेश पंचायत विभाग के कर्मचारियों की करतूतों बलि चढ़ गया है।
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बीते 6 मई को जनपद के नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों बधाई देते हुए आगाह किया था कि कोविड-19 का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है जिसे शीघ्रता से रोके जाने के लिए निगरानी समिति के अध्यक्ष ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में आशा बहू आंगनबाड़ी कार्यकत्री ग्राम पंचायत अधिकारी क्षेत्रीय लेखपाल चौकीदार रोजगार सेवक एएनएम सहित अन्य कर्मियों के साथ बैठक कर लोगों को जिम्मेदारी सौंपी और ग्रामीणों को महामारी से बचाव हेतु जागरूक करें। जिलाधिकारी के आदेश के क्रम में शुक्रवार को बैठक का आयोजन प्रत्येक ग्राम पंचायत में होना था किंतु बैठक कराने की जिम्मेदारी जिन्हें सौंपी गई थी और जिम्मेदार कर्मियों ने उस निगरानी समिति की बैठक की हवा ही निकाल दी जिसका आलम रहा कि मिल्कीपुर ब्लाक क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत पारा धनेथुवा, सिधौना, गोकुला सहित दर्जनों गांव में निगरानी समिति की बैठक नहीं हो सकी। ग्राम पंचायत सिधौना की प्रधान उमा सिंह का आरोप है कि उनकी ग्राम पंचायत में तैनात ग्राम विकास अधिकारी हंसराज ने उनके मोबाइल पर फोन करके कहा था कि पूर्वान्ह 11 बजे निगरानी समिति की बैठक होनी है। जिन के इंतजार में ग्राम प्रधान नवनिर्वाचित ग्राम पंचायत सदस्यों को लेकर बैठी रही और अपरान्ह करीब 3 बजे तक कोई भी कर्मी बैठक संपन्न कराने गांव तक नहीं पहुंचा। इसके बाद ग्राम प्रधान ने खंड विकास अधिकारी मनीष कुमार मौर्य के मोबाइल पर संपर्क साधा और उन्हें समूचे घटनाक्रम से अवगत कराया जिस पर बीडीओ श्री मौर्य ने कार्यवाही का आश्वासन दिया। फिलहाल यदि जिम्मेदार कर्मी महामारी के बीच ऐसे कदम उठाते रहे तब तो कोरोना संक्रमण पर रोकथाम के लिए जिलाधिकारी द्वारा चलाया गया विशेष अभियान कतई सफल नहीं हो पाएगा।