दस हजार से अधिक प्राकृतिक औषधियों के ज्ञता भरद्वाज जी की परिचर्चा 7 मई को

कौटिल्य वार्ता
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नई दिल्ली

*पं.गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास * द्वारा चौदहवीं स्वास्थ्य परिचर्चा :* कोविड महामारी काल में आयुर्वेद के घरेलू  उपायों से उपचार * पर आयोजित करने जा रहा है।


      चौदहवीं स्वास्थ्य  परिचर्चा के लिए हमारे बीच में 1928 में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में जन्मे 93 साल के पंडित लक्ष्मण दास रतन भारद्वाज होंगे, जिन्हें गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है। 

      आप पिछले  सात दशकों से नाड़ी परीक्षण, एक्यूप्रेशर, सूर्य किरण चिकित्सा और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से अब तक लाखों असाध्य मरीजों को नया जीवनदान दे चुके हैं। प्राचीन नाड़ी विद्या को जानने वाले वैद्य भारत में अब विरले ही बचे हैं। 

     पिछले 29 वर्षों से गुरुजी ने अन्न का त्याग कर रखा है।वह केवल दोपहर में छाछ व रात्रि में दूध का सेवन करते हैं।

     गायत्री सिद्ध श्री गुरुजी ने अपने जीवन के कई वर्ष जंगलों में बिताए और 10000 से भी ज्यादा औषधियों का अमूल्य ज्ञान प्राप्त किया। 

     गुरुजी का कहना है आयुर्वेद ही एकमात्र ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसके माध्यम से हम जड़ से रोगों को खत्म कर सकते हैं।

पंडित लक्ष्मण दास रतन भारद्वाज गुरुजी की एक पुस्तक *स्वस्थ- विचार स्वस्थ- तन स्वस्थ-मन स्वस्थ-जीवन * जिसके 9 वॉल्यूम है। इसमें घरेलू उपायों के माध्यम से इलाज के उपाय सुझाए गए हैं। आपका एक टीवी चैनल है जो संस्कृति 24x7 आयुर्वेद के नाम से चलता है। जिसके माध्यम से  रोग विशेष की पूर्ण जानकारी लक्षण और उपचार दर्शकों तक पहुंचाए जा रहे हैं। 


       सेवा न्यास के अध्यक्ष  डॉ राकेश मिश्र ने कहा है कि ग्रुप में व मेरे व्यक्तिगत नंबर पर लगातार आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खों से उपचार के लिए योग्य वैद्य का अनुरोध किया जा रहा था। एक वर्ष से मेरी मुलाकात आदरणीय लक्ष्मण दास भारद्वाज जी से है। उनके घरेलू नुस्ख़ों ने हमें प्रभावित किया और स्वयं दवाओं की निर्माण प्रक्रिया देखी। जो ग़ैर व्यावसायिक है और लोक कल्याणार्थ है तथा भारतीय ज्ञान विज्ञान को लुप्त होने से बचाने के लिये है।हमारे बुंदेलखंड क्षेत्र के अनेक लोग बाबाजी की गोलियाँ व नाक की दवाई लेकर परिजनों को लाभ पंहुचा रहे हैं।


 

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