शर्म नहीं आती कफनखसोट लोगों को। निःसन्देह छल कपट राजनीतिक शस्त्र हैं पर शस्त्रों के प्रयोग की भी एक मर्यादा होती है। निःशस्त्र पर वार नहीं किया जाता। उसी तरह कोरोना वैक्सीन कोरोनवीरों को ही पहले दी जा रही तो गलत क्या है? शायद इन्हें स्वयंसेवा का अर्थ स्वयं की सेवा समझ आता है।
भाजपा छोड़ सभी राजनीतिक पार्टियां जिस तरह से करो ना के बीच वैक्सिंग के पीछे पड़ी हुई हैं वह निसंदेह इस बात को दिखाता है कि उनका बौद्धिक स्तर बहुत ही घटिया और सत्य ही है राष्ट्र निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं है चाहे लल्लू लाल हो चाहे राहुल बाबा हो चाहे, अखिलेश यादव सब की एक ही स्थिति है ।सब कालिदास बनकर के जिस डाल पर बैठे हैं उसी डाल पर काट रहे हैं ।आखिर अगर इनकी सरकार होती तो क्या परिणति होती ?
और क्या व्यवस्था दे देते ।यह तो सबसे पहले क्या आत्महत्या कर लेते । या किसको यह लगाते अपना करो ना का टीका। नरेंद्र मोदी ने वीआईपी कल्चर को समाप्त करके वीआईपी कल्चर हेल्थ वर्कर की भूमिका को निभाया इसमें क्या गलत है ,कांग्रेस-भाजपा कुछ कुछ भी करें ,नरेंद्र मोदी कुछ भी करें उसका विरोध ही होना है,यही कांग्रेस कल्चर है।
अगर भाजपा नरक का रास्ता चुने, तो भी काम कहेगी,पहले मेरा -अधिकार था भाजपा चली जा रही है दुर्भाग्य है इसलिए राजनीतिक पार्टियों से निवेदन है -यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रम तस्य किम्
लोचनाभ्यं विहीनस्य दर्पण किं करिष्यसि!!