गोरखपुर, उत्तरप्रदेश
खेती -किसानी के साथ- साथ दुग्ध उत्पादन का यह वह जरिया जिससे सिर्फ गोपालन ही नहीं बल्कि प्राकृतिक खेती के लिए मिट्टी को उर्वरा शक्ति बनाए रखते हुए हमें शुद्ध, स्वस्थ, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट खाद्यान्न जैसे अन्न तथा दूध आदि मिलता है। लेकिन आज यह उत्पादन का चक्र खतरे में है। केमिकल फर्टिलाइजर तथा कीटनाशक दवाओं के अंधाधुन प्रयोग से मिट्टी जल एवं वायु सभी जहरीला हो गया है और इससे बचने का सिर्फ एकमात्र सस्ता एवं सरल उपाय अब शेष है, वह है- गोबर गोमूत्र का प्रयोग। यह बात उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष अतुल सिंह ने कुशीनगर स्थित बोधी छपरा गांव में एक आधुनिक गौशाला का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मध्य प्रदेश कैडर के आला अफसर ने अभी नौकरी छोड़कर गाय के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए एक प्रकल्प तैयार करने का संकल्प लिया है जो इस देश के लिए एक मिसाल होगी।
उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष अतुल सिंह ने गौशाला का उद्घाटन के उपरांत गौशाला परिसर में उपस्थित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र कैडर के 1984 बैच के आईएफएस ऑफिसर जो बतौर प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट का पद छोड़ कर गो संरक्षण - संवर्धन के उद्देश्य को लेकर गांव में कुछ कर गुजरने के लिए कुशीनगर स्थित अपने पुश्तैनी गांव बोधी छपरा में आए हैं और उन्होंने आज आधुनिक गौशाला खोलकर समूचे देश के लिए एक बहुत बड़ा मिसाल कायम कर दिया। जिसे आज की युवा पीढ़ी अवश्य आकर्षित एवं अभिप्रेरित होगी। उन्होंने बताया कि डॉ दिलीप सिंह देसी नस्ल की गायों के संरक्षण संवर्धन के लिए संकल्पित है और उन्हें आशातीत सफलता मिलेगी। यह निर्णय उनके दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण का बहुत बड़ा नतीजा है जो उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज के गौ संरक्षण संवर्धन के अटूट लगन और प्रेम से पूर्णतया प्रभावित है।इसका कारण यह भी है कि इतने बड़े पद पर रहने वाले अधिकारी के द्वारा ऐसा निर्णय एक बहुत बड़ी बात है जो आज लोगों को सोचने पर विवश कर रही है।
उन्होंने आगे यह भी बताया कि आज के युग में जब देसी गाय लुप्त होती जा रही हैं। हमारी सनातन परंपरा में देसी नस्ल की गायों का बहुत बड़ा स्थान हैजो वैज्ञानिक कसौटी पर खरे उतर चुकी है। गोपालन के दिशा में बहुत बड़ा स्थान देश की गौशालाओं का है। जहां देसी नस्ल की गायों जीवन के अंतिम दम तक सेवा की जाती है और वह हमारे मिट्टी तथा आबोहवा को सुरक्षित रखने के लिए अपने गोबर गोमूत्र से हमारी रक्षा करती है। आयोग उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि गाय द्वारा गोबर - गोमूत्र से जैविक खाद से रासायनिक खादों से हो रहे नुकसान को खत्म करके ऊसर भूमि को भी उपजाऊ बनाने का कार्य बड़े आसानी से किया जा सकता है। इससे ग्रामीण रोजगार बढ़ेगा तथा सुरक्षित उत्पादन की आशा प्रबल होगी। इससे निश्चय ही भारत जो विश्व गुरु के रूप में किसी कालखंड में जाना जाता था , उसे पुनः विश्व गुरु बनाने के क्षेत्र में एक बहुत ही अच्छा रास्ता मिलेगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार एक सन्यासी के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है। इसलिए इसमें अपारशक्ति है। हां, सफलता में देर हो सकती है लेकिन सर्वश्रेष्ठ प्रदेश का खिताब उत्तर प्रदेश के हाथ में ही आएगा।
गौशाला के उद्घाटन के अवसर पर गौशाला के संस्थापक एवं पूर्व महाराष्ट्र के पीसीसीएफ, डॉ दिलीप सिंह जिन्हें पर्यावरण मित्र तकनीक(चूल्हा मैन) के लिए देश में खूब जाना जाता है , ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो गौसेवा कार्य के लिए अभिप्रेरित नहीं होगा , वह स्वयं अत्यंत प्रभावित है। आधुनिक गौशाला के स्थापना एवं संचालन के लिए पिछले कई साल से अध्ययन कर रहे थे और वर्ष 2018 में पीसीसीएफ जैसे सर्वोच्च पद को छोड़कर गौ सेवा मिशन के लिए समर्पित हो गए थे। उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने मुख्य अतिथि का अभिनंदन करते हुए कहा कि मेरा यह एक सपना था कि मैं गौ संरक्षण-संवर्धन के माध्यम से प्राकृतिक खेती करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का एक लव प्रयोग अवश्य करूंगा जो आज पूरा हो गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे देश के ग्रामीण युवा पीढ़ी को रोजगार प्रदान करने की नई इबारत लिखी जाएगी। अपने संबोधन में डॉ. दिलीप ने कहा कि यह गौशाला वह अपने पूज्य पिता को समर्पित कर रहे हैं जो उनका एक बहुत बड़ा सपना था। उन्होंने बताया कि इस गौशाला को गोबर गोमूत्र से होने वाले तमाम फायदों पर अनुसंधान,विकास ,शिक्षा एवं प्रशिक्षण या जनजागृति का कार्यक्रम संचालित किया जाएगा।
यह बता दें कि डॉ दिलीप सिंह 90 के दशक में भारत सरकार के अधीन एनिमल वेलफेयर डिवीजन के लोकप्रिय निदेशक रहे हैं और एनिमल वेलफेयर विषय के प्रशासनिक ढांचे के सुदृढ़ीकरण एवं प्रशासनिक संरचना विस्तार में अहम भूमिका निभा चुके हैं। केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड का कई वर्षों तक प्रशासनिक संचालन एवं कार्यक्रम समन्वयन का कार्य किया है। गौशाला उद्घाटन के अवसर पर गांव के जनप्रतिनिधियों के अलावा ,जनपद के अनेक अधिकारी तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि लोग मौजूद थे। गोवंश संरक्षण संवर्धन की बातें सुनकर गांव में खुशी की लहर दौड़ गई युवा पीढ़ी को बहुत भरोसा है कि गौ संवर्धनके माध्यम से रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे तथा खेती किसानी मैं कम लागत से अधिक मुनाफा होगा। कार्यक्रम
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