डीजिटल डेमोकेसी की ओर बढ रहा देश संजय दिवेदी


*हम सब डिजिटल डेमोक्रेसी युग की ओर हैं :प्रो. संजय द्विवेदी*


जगदलपुर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय,भोपाल के कुलपति,लेखक व मीडिया चिंतक प्रो. संजय द्विवेदी ने 'नये दौर में डिजीटल मीडिया' विषय पर फेसबुक लाइव वेबिनार 'बस्तर टॉक' में बतौर वक्ता शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हम जिस युग में जी रहे हैं वो डिजिटल डेमोक्रेसी का युग है।सूचना की समग्रता के बीच संवाद को नया स्वरूप मिला है। उसका रूप ही डिजिटल मीडिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से जीवन में सूचनाओं का प्रभाव बढ़ा है तो हम सब थोड़े भ्रमित भी है कि आखिरकार सत्य और असत्य में फर्क कैसे समझा जाये। जीवन के अकेलेपन की शून्यता को डिजीटल मीडिया कम किया है फिर भी हम अकेले हैं।हमें समाज के साथ और मजबूती से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि सिटीजन और नेटीजन के बीच फर्क समझने की जरूरत है।हम संदर्भ के लिये गूगल गुरू की मदद ले रहे हैं।इसकी प्रामाणिकता कैसी है उसकी भी जांच परख होनी चाहिये।डिजिटल मीडिया ने सबको अपने विचारों को मजबूती रखने व सवाल उठाने का अधिकार दिया है। हमेशा हमारे सवाल समाज के हित में होने चाहिये। प्रो.द्विवेदी ने कहा कि डीजिटल मीडिया ने पारंपरिक मीडिया को साथ जो स्वरोजगार के नये अवसर दिये है। इससे एक नवीनता भी आई है। सभी मीडिया माध्यमों ने हमारी सोच और सूचनाओं को नया स्वर दिया है। हम सूचनाओं से स्वालंबन,समग्रता,संवाद और समाज को मजबूत कर रहे है। इस डिजिटल मीडिया से पूरे सृष्टि को नई दृष्टि दी है।


उन्होंने कहा कि समाज जीवन में आप निरंतर गतिमान होते हैं तो आपकी विचारशीलता को समाज के हर वर्ग का पूर्ण समर्थन मिलने लगता है। ऐसे ही बस्तर की आवाज को महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव, पूर्व सांसद स्व. बलीराम कश्यप, पूर्व स्व.महेंद्र कर्मा और लाला जगदलपुरी जैसे महान विभूतियों ने स्वर दिया है।जिनके कार्यो की चर्चा मीडिया के हर माध्यमों में है।उन्होंने कहा कि जीवन में डिजीटल मीडिया से पारदर्शिता आई है।हम एक दूसरे से इसी के जरिये जुड़ रहे है।हमें इस नवीन माध्यमों को और मजबूत करके सकारात्मक समाज गढ़ने की जरूरत है। इस वेबिनार में श्रीनिवास मद्दी,शेषनारायण तिवारी,संजय पाण्डेय, जीएस मनमोहन, यशवंत गोहिल,लोकेन्द्र सिंह,दीपा कुमार,मीता उज्जैन सहित देश भर प्रतिभागी जुड़े।संचालन वर्षा मेहर व सहयोग अतुल प्रधान का रहा।


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