मनकी शक्ति व आत्म बल से होगा परास्त कोरोना

मन की शक्ति से लड़ना होगा कोरोना की जंग  
जौनपुर। वैश्विक महामारी कोरोना से जूझते भारत मे लॉक डाउन का दूसरा चरण पूरा होने के पूर्व परिस्थितियों को देखए हुए कुछ ढील मिली है। हमे यह ध्यान देना होगा कि यह ढील हमारी सुबिधा के लिए है कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। इस दौर में हमे अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। चूंकि कोरोना का इलाज संभव नही हो पाया है इसलिए बचाव ही हमारा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। कोरोना  रूपी कहर को भारत ने आत्म बल से रोका है आगे भी इस पर विजय आत्म शक्ति से ही पायी जा सकेगी। उक्त बाते वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा नियुक्त काउंसलर डॉ0 संतोष कुमार पांडेय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर व्यक्त किया। अपनी विज्ञप्ति के माध्यम से उन्होंने आह्वान किया है कि लोग समय समय पर शासन द्वारा दिये जा रहे निर्देशो का पालन करें तथा किसी भी प्रकार के अफवाह पर ध्यान न दें। प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ड़ॉ0 पांडेय ने यह सुझाव दिया है कि कोरोना से बचने में स्वच्छता का विशेष महत्व है इसके लिए हाथ साबुन, हैंडवाश या मिट्टी से समय समय पर धुलते रहें। हाथ धुलने की यह प्रक्रिया हमारी आदत में शुमार हो जाना चाहिए। लोगों से मिलने जुलने, आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी करने यहां तक कि आवश्यक चिकित्सकीय परामर्श के समय भी एक मीटर की दूरी के नियम का पालन करें। अनावश्यक बाहर निकलने तथा भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना होगा। आवश्यक वस्तुओँ की खरीददारी के लिए बड़े मॉल या बड़ी दुकानों की जगह छोटी छोटी दुकानों को तरजीह दें जहां लोगों की भीड़ कम से कम हो। दुकान, होटल या रेस्टोरेंट के खाने की जगह घर के खाने को प्राथमिकता दें, जहां तक संभव हो  अपने खाने में शाकाहार को वरीयता दें। ध्यान रहे कोरोना का कैरियर बनने की अपेक्षा इन्फॉर्मर बनना ज्यादा उचित है। इसलिए आपके घर , गावँ या कस्बे में यदि कोई किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखते हों तो शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए नम्बरो पर सूचना अवश्य दें। ध्यान रहे कोरोना की बीमारी बताने से किसी भी प्रकार की सामाजिक क्षति नही होती  है, छुपा लेने पर ब्यापक पैमाने पर जीवन की क्षति की संभावना बन जाती है।कोरोना कुछ समय के लिए है, आज नही तो कल समाप्त हो जाएगा परंतु हमारे समाज का सौहार्द्र और गंगा जमुनी तहजीब स्थायी है। इस विपत्ति के दौर में हमे सभ्य शहरी की भूमिका निभानी होगी। हमे इंसान का फर्ज निभाते हुए पड़ोसी के चूल्हे का भी ध्यान देना होगा। समझना होगा कि हिन्दू और मुसलमान होने की अपेक्षा इंसान होना ज्यादा महत्वपूर्ण है।


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