धर्म प्रचारक या मानवता के दुश्मन

धर्म के प्रचारक या मानवता के दुश्मन ?
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भारत एक लोकतांत्रिक देश है और भारतीय संविधान में सभी धर्मों को सम्मान दिया गया है इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि धर्म की आड़ में कोई जमात राष्ट्र विरोधी कार्य डंके की चोट पर अथवा लुका छिपी खेलकर करे, तो वह निंदनीय तो है ही परंतु इस महामारी के दौर में बेहद संगीन अपराध की श्रेणी में भी आता है और जो संविधान विचारों का सम्मान करता है वही संविधान इस प्रकार के संगीन अपराध के अपराधियों को दंड भी देता है परंतु आश्चर्य है कि असहिष्णुता  के नाम पर देश में उपद्रव करने वाले और अपने सम्मान पत्रों को लौटाने वाले सहिष्णुता के पुजारी आज नदारद हैं।तब उनकी उस समय के सहष्णुता क्या एक वर्ग विशेष के लिए दिखावा थी या किसी राजनीतिक दल की साजिश थी ,यह प्रश्न बार-बार कचोटता  है कि देश की संप्रभुता पर एक मौलाना सुनियोजित वार करता है तो चुप्पी साध लेना और कोई संविधान सम्मत कार्य करता है तो असहिष्णुता और किन्हीं तथाकथित लोगों को उस कार्य से देश में रहने में डर लगने लगता है आज उनका डर और वह लोग कहां हैं ।


तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद ने कोरोना प्रतिबंध के समय देश के कानून की धज्जियां उड़ाई हैं, देश में कोरोना की मौतों का उन्हें जिम्मेदार ठहराते हैं उनका यह अपराध माफी योग्य नहीं है और उनकी फ़रारी से पता चलता है कि वह कितने धार्मिक राष्ट्र प्रेम व्यक्ति हैं उनका यह कायराना बर्ताव बताता है कि जिसे वह धर्म प्रचार कहते हैं यह उनका पारिवारिक धंधा है अपने परदादा द्वारा शुरू किए गए इस धंधे को वह मुसलमानों की जान से भी ज्यादा जरूरी मानते हैं ।अन्य देशों की तरह भारत सरकार भी इस तरह के धंधे पर प्रतिबंध लगाए ,जिससे भारत जैसे देश की संप्रभुता को बचाए और बनाए रखा जा सके।


इस समय विश्व के साथ -साथ भारत भी कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, और शासन तथा प्रशासन पूरी तरह देश में व्यवस्था बनाने में लगा है ,ऐसे में प्रशासन का तब्लीगी जमात द्वारा सहयोग न करना और प्रशासन से अभद्रता करना यह दर्शाता है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में किस प्रकार के षड्यंत्र की मानसिकता वाले धर्म प्रचारक तैयार किए जा रहे हैं यह गहन अध्ययन का विषय है जिसकी एक बानगी इस समय दिखाई दी है। यह सरकारी ख़ुफ़िया तंत्र पर भी सवालिया निशान लगाता है कि एक प्रदेश की सरकार यह सब होने के बाद कहती है यह कैसे हो गया? हमारी जानकारी में नहीं है ,।अगर इस प्रकरण के दूरगामी परिणामों पर दृष्टिपात किया जाए, तो यह कोई मामूली कार्य नहीं है यह एक विदेशी साजिश का हिस्सा जान पड़ता है। जो भारत जैसे देश की "अतिथि देवो भव" की संस्कृति पर कुठाराघात करता है ।


सरकार को प्राथमिकता और गंभीरता के साथ ऐसी जमात को पूर्ण प्रतिबंधित करना होगा।
-अजय कुमार अग्रवाल
स्वतंत्र पत्रकार


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