अतीत का रक्तबीज ही आज का कोरोना है

आज दुर्गाष्टमी है बताते है पृथ्वी पर धर्म की स्थापनाके लिये देवताओं के आग्रह पर जब शुम्भ निशुम्भ का वध करने  का आग्रह देवताओं ने मा आदिशक्ति से किया था तब दुर्गा के सामने आने से पहले उस शुम्भ  निशुम्भ  ने पहले रक्त बीज (वायरस ,तब्लीग़ी जमात भी) छोड़ा था ,वह वायरस इतना व्यापक प्रभाव डाल रहा था कि रक्तबीज के शरीर के सक्रमण का प्रभाव बढ़ता ही जारहा था।उसके स्पर्श मात्र से एक से दो दो से चार अर्थात निरन्तर बढ़ते वायरस का अंत हीन सक्रमण। तब आदिशक्ति ने महाकाली का स्मरण किया कि वे सक्रमण का वायरस समाप्त करे ,वह सक्रमण इतना भयानक व तीब्र था कि सम्पूर्ण  वसुधा अधैर्य से कांप उठी।सारा विश्व त्राहिमाम ! त्राहिमाम!!करने लगा।यह वायरस इतना भयानक था कि अपने पराए का विवेक ही खो बैठा।


वही रक्तबीज आज भारत सहित सम्पूर्ण विश्व को लीलने को तत्तपर है।जिसने इस वायरस को पैदा किया उसे भी नहीछोड रहा।मेरा व्यक्तित मन्तव्य है भी रक्तबीज आज कोरोना या कोविड-19  बनकर अपनी रक्ताभ जीभ से सम्पूर्ण मानवता को मिटाने और  शुम्भ निशुम्भ (चीन)को सुरक्षा कवच प्रदान कर रहा है।पर आदि स्वरूपा जगदम्बा रक्तबीज सहित समस्त आतताई शक्तियों का समूल शवच्छेदन कर समूल नाश करेगी।


आपको पता रहना चाहिए एकबार इसी समाज ने भष्मासुर भी दिया था उसका भी अंत आपने ही किया।


अपना धैर्य,सयम,साहस और समाज मे सकारात्मक कार्य से स्वीकार्यता बढ़ाइए।मा कालरात्रि,आद्याशक्ति और राष्ट्रपुरुष विष्णु इस देश और सम्मूर्ण मानवता को एकबार फिर अभय प्रदान करेंगे।बस अपना सकारात्मक सयम ही काम आएगा।


भारत पुनः विश्व गुरु बनेगां, अंधेरा भी छटेगा.जो सरकार आपसे चाह रहीहै उसे करिए और उसे करने भी दीजिये।और गीताकार को स्मरण करिए।


यंत्र योगेश्वरः कृष्णो ,यंत्र पार्थो धनुर्धरः।


तत्र श्रीविज्योभूतीर  ध्रुवारनीतिर्मतिर्मम।।


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