स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कांग्रेस जनता की गाढ़ी कमाई से कम्बल ओढ़ कर धी पीती रहीऔर उनका खून चूसती रही.

कांग्रेस आई मानो सुराज मिल गया ,कांग्रेस की भटकती आत्मा परिवार और स्वार्थवादकी वंदी हो गई.जवाहर नेहरू से इंदिरा तक असंख्य  की आत्माओं को भटकने को मजबूर करने वाली कांग्रेस आज अपने युवराज के हाथ कटोरा थमा "प्रधानमंत्री पद दही में" का अरण्य रोदन अखिल विश्व में चीत्कार कर ख रही है.कांग्रेस कार्यकर्ता की आत्मा अब और कुछ नहीं केवल परिवार वाद से मुक्ति चाहती है.गांधी के राम राज्य और उनके नाम का लबादा ओढ केवल राजमाता की इच्छा पूरी कर वाम मार्गी होचुकी हे.

मुग़लों के बाद अंग्रेजी राज और अंग्रेजी राज के बाद कांग्रेसी राज - देशवासियों को उस समय लगा कि सदियों की गुलामी से मुक्ति मिल गई । कांग्रेस डूबकर खून पीती रही और चीन, पाकिस्तान , अमेरिका और अरब देशों का भय दिखाकर बहुसंख्यक समाज का भयादोहन करती रही ।

मगर पोल तो अब खुल रही है जब हिन्दू धीरे धीरे निद्रा और तंद्रा अवस्था से बाहर आते जा रहा है ।

कांग्रेसियों के डूब के खून पीने का आलम तो ये था कि हिन्दू समाज , वस्तुस्थिति को तत्काल पहचानकर एक्शन लेने वाले अपने शुभचिन्तक शहीद वीर सावरकर और नाथूराम गोडसे को भी बुरा ही समझता रहा ।

आंखे तो अब खुल रही हैं जब दिखाई दे रहा है कि ये वही भारत है जो दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है । तो प्रश्न ये उठता है कि कांग्रेस राज में देश का पैसा आखिर जाता कहाँ था ?

इसमें कोई शक नही कि कांग्रेस का आजाद भारत में हिन्दुविरोधी रवैया था । अंतरराष्ट्रीय मसलों पर इस पार्टी के कर्णधारों द्वारा समय समय पर उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाया गया वह लापरवाही थी या जानबूझकर की गई इसकी जाँच होनी चाहिए । जैसे, अक्साई चिन, पाक अधिकृत कश्मीर गंवाना और तिब्बत को थाली में परोसकर चीन की नजर करना । वीटो पावर चीन को देने का प्रस्ताव समर्थन करना आदि । सब जांच का विषय है ।

संकलन,कौटिल्य शास्त्री

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