तेरहवां देवासुर संग्राम 2024, I-N-D-I-A बनाम एनडीए

 प्रस्तुत विचार मेरे व्यक्तिगत हैं,प्रकाशन इसके लिए उत्तरदायी नहीं.


 जब सारी आसुरी शक्तियां एक साथ होकर किसी एक व्यक्ति विशेष पर आक्रमण करना मानसिक और वैचारिक प्रयास शुरू कर दें तो समझ लीजिए वह देवासुर संग्राम का श्री गणेश है .इस देश में अब तक 12 देवासुर संग्राम हुए हैं 13वां देवासुर संग्राम 2024 लोकसभा चुनाव में होगा जो इंडिया बनाम इंडिया होगा एनडीए ने अपना नाम और चोला दोनों बदला है इंडिया ने अपना नाम और चोला दोनों बदला है पर एनडीए जैसी था वैसे ही चट्टान की तरह खड़ा है मौका परस्त ताकते फिर का प्रस्तावते और राष्ट्रीय तख्त मुस्लिम परस्त ताकते चीन और पाकिस्तान पर हस्तकते एक साथ हैं राष्ट्रवादी तख्त राष्ट्र को वैश्विक महाशक्ति बनने वाले ताकते और भारत को विश्व गुरु बनाने वाली तख्त एक साथ हैं यह निशान दे इस बात का प्रतीक है की आने वाला समय देवासुर संग्राम से कम रोचक नहीं होगा पहले देवासुर संग्राम लगभग 4000 वर्ष पहले हुआ था कभी हीरा कश्यप को कभी राजा बलि को कभी किसी अन्य राक्षस को कभी कार्तिकेय बनकर कभी विष्णु बनकर देवताओं का अर्थात सकारात्मक शक्तियों का समर्थन विष्णु ने किया था नकारात्मक शक्तियां राक्षसी वृद्धि का देवता हैं अभी इससे भी राक्षसी व्रत की शक्तियां आज इंडिया के साथ हैं इंडिया का कहां-कहां ईट कहां का रोड़ा भानुमति का कुनबा जोड़ा यह संदेश भानमती का कुनबा है जहां कोई किसी को नहीं चाहता सब सबको चाहते हैं सबके पास कई चेहरे हैं आपातकाल में प्रसिद्ध पत्रकार डॉ मनके करने एक पुस्तक लिखी थी जिसका शीर्षक था इंदिरा गांधी के दो चेहरे आज इंडिया के लोग अनेक मुखोटे लेकर के बैठकों में जा रहे हैं बैठकों से बाहर आ रहे हैं मन में आज बगल में छुरी दावा पाव तो कटे मोरी यह इंडिया का लक्ष्य है इंडिया में खेल करने वाली ममता बनर्जी हैं अति मात्रा आकांक्षा मन में पाले हुए नीतीश कुमार हैं राजवंश के खुशामद करने वाले कांग्रेसी नेताओं में खड़गे सहित दिग्विजय जैसी प्रवृत्तियां हैं करुणा नदी के उत्तराधिकारी स्टालिन जैसे लोग हैं जो हमेशा अपने हिसाब से कुछ ना कुछ नैतिक और अनैतिक करने का दावा करते रहते हैं परंतु वह दवा इसलिए खोखला है कि सबका अपना-अपना एजेंडा है देश किसी के झंडे में नहीं है देश का भला कैसे होगा किसी को नहीं मालूम है देश का काम कैसे चलेगा किसी को नहीं मालूम है बड़ा एजेंडा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम किसी का नहीं है लेकिन सब लोग नरेंद्र मोदी से लड़ने चले हैं ताल ठोक करके मैदान में आते दिखाई भी दे रहे हैं लेकिन इनकी वैचारी की इनकी व्यवहार की और उनके सोच नेशन दे आशीर्वाद वृत्तियों का टोटक है भारतीय जनता पार्टी नीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसी सकारात्मक शक्ति का प्रतीक है जो राक्षसी वृत्तियों को समूह नाश करने के लिए संतों महात्माओं और देवताओं को साथ लेकर के चल रहा है ऐसी स्थिति में जहां नैतिकता है जहां बौद्धिकता है जहां देश को वैद्य गुरु और विश्व महाशक्ति बनाने का दावा है और जहां धर्म है वहीं विजय है यह तो धर्मस्थल हो जाए भगवान ने भी कहा है कि हम उसी स्थान पर रहते हैं जहां सकारात्मक आस्था और धर्म साथ-साथ रहते हो नकारात्मक वृत्तीय कलयुग का जो तक है सकारात्मक प्रकृतियां कृतिका अर्थात सतयुग का देवता है लड़ाई ऐसे दो विचारधाराओं में हो रही है एक भारत को विश्व गुरु बनाना चाहता है एक भारत को महाशिव महाशक्ति बनना चाहता है और एक नकारात्मक वृत्तीय ऐसी हैं जो परिवारवाद से ऊपर उठकर कोई भी काम करने के लिए तैयार नहीं है हां एक विशेष राजवंश को समृद्ध करने में लोग लगे हुए हैं स्मृति बिना नाम लिए जनता जान जा रही है कि वह कौन है जो अंतरराष्ट्रीय फलक पर जाकर के देश की नियति के साथ खिलवाड़ करता है अंदर जाकर के पदयात्रा का नाटक करता है इसलिए तमाम लोगों के कई मोकूटों को लेकर के इस तरह का इंडिया के सब लोग चल रहे हैं अंधेरनिया मन जैसे ही बांधा है कहावत यहां चरितार्थ हो रही है जैसे एक अंधा व्यक्ति चलता है दूसरा अंधा व्यक्ति उसके कंधे पर बैठ जाता है पूरा इंडिया परिवार उसी का है लेकिन एनडीए सकारात्मक ऊर्जा से लबरेज दो-दो हाथ करने के लिए इंडिया से तैयार है नाम इंडिया इसलिए रखा गया कि शायद देश की भोली भाली जनता को बरगलाकर धोखे में डालकर हम कम कर सकें बड़ी सोची समझी रणनीति के तहत इंडिया नाम दिया गया लेकिन इंडिया नाम किसी काम नहीं आएगा कम इसलिए भी नहीं आएगा की जनता आप समझ चुकी है एनडीए और इंडिया का क्या मतलब होता है

26 विपक्षी दलों का वग मूल गठबंधन इस बात का प्रतीक है हमारे पास समावेशी गठबंधन और समावेशी विकास के लिए कोई स्थान नहीं है बेंगलुरु कोलकाता और मुंबई तीन जगह शीर्षासन करने के बाद भी केवल एक ही विग्रह निकला कि हम बातचीत और डायलॉग को चालू रखेंगे एनडीए बीजेपी के नेतृत्व के केंद्र में सरकारों गठबंधन अपनी 38 संख्या लेकर के संयुक्त विपक्षी मोर्चे से मोर्चा लेने के लिए तैयार है मगर इन दोनों गठबंधनों के अलावा कुछ ऐसे भी डाल हैं जब देवासुर संग्राम में किसी भी तरफ से नहीं थे वह शक्तियां कभी एनडीए के साथ जा सकती हैं कभी इंडिया के साथ जा सकती हैं अपने-अपने स्वार्थ के हिसाब से सबका अपना-अपना मामला है उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सिम हैं जबकि दक्षिण भारत के परम पांच प्रमुख राज्यों कर्नाटक आंध्र तेलंगाना केरल तमिलनाडु में लगभग सभा सो जीते हैं 2024 की लड़ाई बहुत दिलचस्प होने जा रही है मगर एक बात तो होता है राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में प्रचार और सार्वजनिक बयानों को चाहे जितना भी नीचे गिराया जाए परंतु सार्वजनिक जान विमर्श सैद्धांतिक मुद्दों को बने रहने की उम्मीद है लेकिन जिस तरह से सोची समझी रणनीति के तहत इंडिया कम कर रहा है उसका कोई मतलब नहीं हैलोक कल्याणी राज की स्थापना करने के लिए इंडिया को आगे आना चाहिए लेकिन कांग्रेस परस्त और राजवंश परंपरा का पालन करने में सारनाथ लोग केवल राजवंश के सहभाविक विकृति से आगे नहीं उठ पा रहे हैं ऐसी स्थिति में संसदीय प्रणाली को शोधारण करने के लिए सभी लोगों को विचार करना चाहिए सभी राजनीतिक दलों को पुरजोर कोशिश होनी चाहिए कि चुनाव जान विमर्श केवल आप प्रतियोग का ना हो करके बल्कि संसद से लेकर के सड़क पर सार्थक विषयों की अनुभूति का हो जो एनडीए के एजेंट से बाहर है एनडीए का एकमात्र झंडा है चाहे जो मजबूरी हो नरेंद्र मोदी की संसद से दूरी हो जो संभव है संभव है संभव है

राजेंद्र नाथ तिवारी

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