क्यों नही लिखते डाक्टर जेनरिक दवाये. प्रतिदन करोड़ो का हिसाब किताब

बस्ती, उत्तरप्रदेश

बस्ती जनपद ही नहीं संपूर्ण देश में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर मिलने वाली जेनेरिक दवाओं को उपेक्षा ,उपहास का पात्र बनना पड़ रहा है ।बड़े से बड़ा डॉक्टर जेनेरिक दवाओं से इतना परहेज करता है जैसे सामान्य आदमी विष से परहेज करता है ।वह नहीं चाहता कि सस्ते इलाज के व्यक्ति को राहत हो महंगा इलाज ,ज्यादा रुपया चिकित्सा शास्त्र का सिद्धांत बन गया है 

बस्ती मेँ प्रतिदिन 20 करोड़ से ऊपर का व्यवसाय करने वाले मेडिसिन उद्योग में जनपद के डॉक्टरों द्वारा लिखी गई जेनेरिक दवा ₹1लाख प्रति दिन भी हिस्सा नहीं आता । जब जेनेरिक दवाओं में विकल्प व् उच्चगुडवत्ता है ,उसे लिखने से परहेज क्यों करता है  डाक्टर !

उसका सीधा सा कारण है की उत्कोच के चक्कर में उसको परेशानी होती है ,बिना अतिरिक्त लिए बिना उपकृत हुए रात दिन घूमने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के माध्यम से जो दवाएं उच्च गुणवत्ता की बता कर दी और बेची जा रही हैं यह सत्य है कि हो सकता है उनकी गुणवत्ता जेनेरिक दवाएं अंतिम व्यक्ति की पहुंचकर अंदर आती हैं और कोई भी डॉक्टर उनको लिखने से ऐसा परहेज करता है जैसे कोई अछूत हो ।

भारत सरकार ,व् स्वास्थ्य मंत्रालय जेनेरिक दवाओं को लिखने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के माध्यम से डॉक्टरों पर दबाव बनाना चाहिए  अन्यथा प्रधानमन्त्री जनोसधि योजना का कोई मतलब नहीं।

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