#हर #हिन्दू जरूर #पढे,#समझे और #जीवन में #धारण करे 👇👇
हमारी ये कमी हमेशा से रही है कि हमने वैश्विक वास्तविकताओं को समय रहते नहीं समझा और न ही उस से निबटने के प्रबंध किए। एक समाज के तौर पर हमेशा अंतर्मुखी ही रहे हैं..और आज भी हम अपने शत्रुओं के डिजाइन्स को समझने तक से इनकार कर देते हैं क्योंकि हमारा कोई ग्लोबल व्यू है ही नहीं।अरब में इस्लाम के उदय के साथ और अगले 50 60 साल में ही स्पेन से लेके फारस (ईरान) के गिर जाने के बाद ग्लोबल ट्रेड में बदलाव तो आये होंगे।
और उस वक़्त तो सबसे बड़ी GDP हमीं थे, तो ऐसा संभव ही नहीं कि ट्रेड रुट पर किसी और का कब्जा हो जाये और हमको खबर ही न हो।फारस को 16 साल में ही कब्जा लिया गया वहां के पारसी समुदाय के सूर्य मंदिर तोड़ दिये गये। और उन 16 सालों में वहां किस तरह की हिंसा रही होगी ऐसा ही नहीं सकता कि अफगानिस्तान की हिन्दू शाही किंगडम्स और बलोच सिंध एरिया में मौजूद राजाओं को पता न चला हो।उसके बाद भी सिंध पर आक्रमण के दौरान हमारी तरफ से कोई संयुक्त मोर्चा लड़ने नहीं गया था। शायद हम हमेशा से ऐसे ही रहे हैं।
गजनी, गौरी हज़ारों किलोमीटर अंदर आकर सोमनाथ, मथुरा लूट ले जाते रहे और हम आपस में ही खेत मेंडों की लड़ाई लड़ते रहे, क्योंकि हमारा कोई वर्ल्ड व्यू था ही नहीं।बाबर जब भारत आया तो वो अपने साथ Gun Powder लेके आया और सोने की चिड़िया होने के बावजूद हम भाले और तलवारों से तोपों का मुकाबला करने पहुंचे थे। हमने ये भी जानना ठीक नहीं समझा कि वक़्त के साथ साथ युद्ध की टेक्नोलॉजी,हथियार,तरीके बदल रहे हैं। बाबर ये ओटोमन से सीख रहा था लेकिन हम नहीं।यही हाल अंग्रेजों के समय हमारा रहा, पार्टीशन में भी हमीं मारे गए, मोपला से लेके डायरेक्ट एक्शन डे तक में हम बिछा दिए गए लेकिन एक बार हममें इतनी चेतना नहीं आयी कि बैठ के सोचें भी कि लगातार 1000 साल से ऐसा क्या हो रहा है कि हम पीछे धकेले जा रहे हैं।
हालांकि बीच बीच मे अपवाद रहे।1947 में हमने अपने लिए देश क्यों नहीं मांगा या हमारे बेहाफ़ पर हमारे लीडरों ने क्या नेगोशिएट किया वो तक हमने कभी नहीं पूछा। पाकिस्तान, बांग्लादेश में रह गए हिंदुओं का छोड़िए हमने कभी अपने ही देश में प्रताड़ित होने पर बैठ के मंथन तक नहीं किया कि आखिर ये सब हो कैसे रहा है।अभी हालिया उदाहरण है कि दिल्ली दंगे में कैसे उनके एकतरफा अग्रेशन के बाद भी पूरी दुनिया मे बदनाम आप हुए और उन्होंने कैसे अपने कट्टरपंथियों को दुनिया के साथ साथ आपके देश में ही हीरो बना लिया। और आपको सोचने तक का समय न मिला कि दिल्ली दंगे आखिर हुए क्यों।जब तक आप अपना वर्ल्ड व्यू नहीं बनाएंगे, दुनिया में अपनी हैसियत का असेसमेंट नहीं करेंगे और एक समाज के तौर पर Common Minimum Unity डेवेलोप नहीं करेंगे तब तक आप प्रताड़ित ही रहेंगे।
और ये भी है कि प्रताड़ित होने के बाद भी फ़ासिस्ट आपको ही लिखा जाएगा, क्योंकि आप लिख भी नहीं रहे हैं।