जौनपुर
कल तक देखकर मुंह फेर लेने वाले आज झुक कर नमस्कार करने लगे। यह हृदय परिवर्तन किसी करिश्मा के कारण नहीं बल्कि सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद ग्राम प्रधानों का अधिकार समाप्त होने से हुआ है। अधिकार से वंचित किए गए प्रधानों में से अधिकांश का रातों-रात हृदय परिवर्तन हो गया है। कल तक अधिकांश ग्राम प्रधान आम लोगों से मुंह फेर लेते थे, मिलने से कतराते थे कि कहीं एक काम न कराने को कह दे सामने वाला आदमी। इससे अच्छा है आम लोगों से मिलने से ही बचा जाए। ग्राम प्रधानों का अधिकार समाप्त कर दिए जाने के बाद से यह हृदय परिवर्तन दिखने लगा है और पिछले पांच दिनों में ऐसे सैकड़ों ग्राम प्रधान दिख रहे हैं जिनका हृदय परिवर्तन हो गया है।
गरीबों से झुक झुक कर नमस्कार करना। उनसे अदब से बात करना और हर तरह से उनका अपने को शुभेच्छु प्रमाणित करने का प्रयास होने लगा है। ग्राम प्रधानों का वित्तीय अधिकार समाप्त हो जाना अपने आप में एक बड़ी समस्या हो गई है क्योंकि अब सरकारी धन से लोगों को संतुष्ट करना बस की बात नहीं रह गई है। ऐसे में व्यवहार कुशल बनकर ही अपने को प्रस्तुत करना एकमात्र विकल्प रह गया है। सरकार अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक पंचायती चुनाव संपन्न करवा लेने की बात कर रही है। अभी तीन महीने शेष है। इसमें ग्राम प्रधानों द्वारा अपने समर्थकों को कैसे संतुष्ट किया जाएगा इसकी चिता उन्हें सताने लगी है। वहीं विपक्षी भी वित्तीय अधिकार समाप्त होने के बाद प्रधानों के सामने ताल ठोकने लगे हैं। अब प्रधानों द्वारा कराए गए विकास कार्यों में कमियां निकालने का दौर भी शुरू हो गया है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि अगले तीन महीने किस तरह से मतदाताओं को संतुष्ट कर पाते हैं निवर्तमान प्रधान।
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