जब विश्व में कुछ नही था तब भारत मे सब कुछ था !

 ज्ञान के क्षेत्र में अनेक उलझन है, हमारी सीमित क्षमता के कारण इस बात की कल्पना नहीं कर सकते कि प्रशिक्षित स्त्री पुरुष निर्माण कर विधाता ने मानवीय व्यवहार कैसे आरंभ किए होंगे।यह एक ऐसी उलझन है सभी क्षेत्रों में हैं जो हम यह नहीं बदल पाए।


भौतिक शास्त्री यह रहस्य आज तक नही खोल पाए कि पहले वृक्ष हुआ या


 बीज ?, निर्माण हुआ या वृक्ष ।जीव विज्ञानी यह नहीं बातला सकते की पहले अंडा हुआ या पक्षी ।हम व्यवहारी मानव निश्चित नहीं कर पाते कि फल प्राप्ति कर्म से होती है देव से। भौतिक शास्त्र की समस्या है कि प्रकाश किरण रूप से फैलता है या कण से । सागर विज्ञानी नहीं पता कर पाया कि विश्व भर की नदियां हर पल सागर में असीम जल लाती रहती हैं फिर भी सागर में कभी भी बाढ़ क्यों नहीं आती ?


असज तक नहीं पता चला कि शरीर में आत्मा कहां निवास करती है ।थूक जहां दुनिया का सबसे दूषित तत्व है वही एक तरफ थूक को अति गंदा आरोप प्रसारित करता है ,वहीं दूसरी तरफ अपनी प्रेमिका के होठों को चूसते हुए उसे अधाराअमृत कहता है ।कितनी बातें हैं जो मानवीय तर्क के बाहर हैं ,सभी प्रश्नों का उत्तर कठिन है सम्सज ने बीज और वृक्ष, जीव और पक्षी, पुरुष ,स्त्री एक आध निर्माण कर के प्रयोग पर उत्पत्ति के कारण चक्र को चलाया परंतु चक्र ही रही। सूर्य चंद्रमा पृथ्वी गोलाकार हैं और सारे घूम रहे हैं ,इस विश्व को हम जैसा पाते हैं उसी के अंतर्गत हम अपना जीवन यापन करना पड़ता है स्त्री को ही गर्भ धारण हो तो क्यों होता है, और पुरुष क्यों नहीं होता है। इसका उत्तर यही भाई बाकी जो समझ में आए ईश्वर की लीला को समझना सबके लिए कठिन है ।


विश्व ब्रह्मांड के ऐसे अनेक अनेक समस्याओं का रहस्य मानव कभी समझ नहीं पाता और ना पाएगा अतः कि आज के क्षेत्र में जो सारे प्रमाणों को देखते हुए हमें यह मानना पड़ता है कि मानव के साथ ही वेद और वेदों की भाषा संस्कृत का भी धरती पर अवतरण हुआ और यही से मानव इतिहास का आरंभ होता है ,


इस धरती पर मानव का निर्माण कब हुआ कोई अध्यापक- प्राध्यापक इस प्रश्न का सही उत्तर नहीं दे पाता ,फिर भी यह कह कर काम चला लिया जाता है अरे भाई जैसा भी हो हम गत दो-तीन सहस्त्र वर्षों का जो इतिहास कर सकते हैं वही बहुत है पाश्चात्य विद्वान तो कई अटकलें समय-समय पर प्रकट करते हुए कहते हैं यूरोप ,अफ्रीका, एशिया ,(ऋषिया)में प्राप्त होने वाली प्राचीन प्रस्तर प्राय अवशेषों से जीव सृष्टि अधिकाधिक प्राचीन प्रतीत होती है।


 मानव कैसे उत्क्रांत हुआ एक जटिल समस्या बन रही है 3000000 से वर्ष पूर्व मानव किन किन देशों से उत्क्रांत हुआ और उसका आपस का क्रम कया था, में नहीं आता। हिंदू संस्कृति यही कहलाती है। कोई आर्यऔर सनातन भी है 


विश्व के आरंभ में ही सभ्यता का मूल स्थान गंगा यमुना श्एशिया ,तिब्बत पर था तिब्बत मानसरोवर कैलाश पर्वत, गंगा और ऋषि एशिया इन सब का महत्व वैदिक समाज जीवन पद्धति और गुरुकुल शिक्षा चली ।


व्यवहार की भाषाएं संस्कृत थी अतः वेद उपनिषद पुराण रामायण महाभारत आदि जो आज यानी ऋषि यों का पृथ्वी पर लाने वाला सहित है वही अनादिकाल से मानव का आदि इतिहास है।


विश्व मे जब कुछ नही था तब भारत वर्ष में सब कुछ था।


राजेन्द्र नाथ तिवारी. 


 



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