बस्ती।
पुलिस!रक्षक के साथ ही आत्मघाती भी है,यह क्यों ओर तथ्य बस्ती कोलवाली में चरितार्थ होता है .जहां एक सब इंस्पेक्टर ने कूट रचना कर अपने निकटतम बॉस अर्थात सी ओ के खिलाफ ही उच्चाधिकारियों को शिकायत करा डाली.
बताते हैं, पुलिस वाले किसी के दोस्त नहीं हो सकते, लेकिन यह नहीं सुना था, कि पुलिस वाला ही पुलिस का दुश्मन हो सकता। यह भी सुना था, कि यह सबकुछ बर्दास्त कर सकते हैं, लेकिन लक्ष्मी चली जाए यह बर्दास्त नहीं कर सकते, भले ही उनके इस रास्ते में उनका उच्चाधिकारी ही क्यों ना हो ? आप लोगों को सुनकर हैरानी होगी, कि जब एक दरोगा को यह लगा कि सीओ सदर उनके माल कमाने के रास्ते में बाधक बन रहे हैं, तो उन्हीं को ही रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली। सीओ सदर से विवेचना हटाकर किसी और सीओ से करने की मांग महिला ने डीजीपी से की। कहने का मतलब एक साजिश के तहत दारोगा ने पीड़तिा से मिलकर उनकी ही शिकायत डीजीपी से करवा दी। जांच के आदेश भी हुए, इसका पता जब सीओ सदर को चला तो वह भी हैरान रह गए, और उन्होंने उच्चाधिकारियों से मिलकर खुद कहा कि सर इसकी जांच गंभीरता से और ठीक से होनी चाहिए, ताकि दरोगा का चेहरा विभाग और लोगों के सामने आ सके। चूंकि सीओ सदर के नाम से यह शिकायत की गई कि साहब से बात हो गई, उनको मैने रुपया भी दे दिया है, वह मेरा नाम मुकदमें से निकलवा देगे। इसकी विवेचना कोतवाली के उपनिरीक्षक रमेशचंद्र यादव कर रहे है।
•-जब दारोगा को यह लगा कि सीओ इसके मार्ग में बाधक हैं तो उसने पीड़तिा को उसकाकर सीओ के खिलाफ ही शिकायत करवा दिया.
•-डीजीपी से की गई शिकायत, जब जिले में जांच के लिए आई तो सीओ साहब ने उच्चाधिकारियों से खुद कहा कि इसकी गहराई से जांच की जाए, क्यों कि आरोप नाम से लगाया गया
•-जांच हुई की नहीं और क्या परिणाम निकला इसका पता तो नहीं चला, लेकिन सीओ सदर ने अपने उपर लगे दाग को मिटाने के लिए जो प्रयास किया वह सराहनीय कदम उठाकर उच्च अधिकारियों से उक्त जांच से पृथक करने का आग्रह कर लिया.
प्रश्न यह उठता है आखिर दरोगा को कौन सीओ के खिलाफ लड़ने के लिए भड़का रहा है.जन चर्चा है दरोगा ने पुलिस रेगुलेशन एक्ट का उल्लंघन कर घोर अनुशासन हीनता के साथ ही गंभीर विभागीय अपराध भी कारित किया है.
मामला राजकुमारी पत्नी स्व. चंद्रभान सिंह का है। इसका एक मुकदमा चल रहा है, जो कि मुकदमा वादिनी है। मुकदमा कोतवाली में पंजीकृत है। वादिनी ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा कि नामित अभियुक्त सूर्यपाल उर्फ ददन सिंह पुत्र स्व. राम भरोसे के द्वारा मेरे शुभ चिंतकों से कहा गया कि सीओ सदर से बता हो गई है, और उनको रुपया भी दे दिया हूं, ताकि वह तुम्हारा नाम निकाल दे। यह भी लिखा कि सी से न्याय की आशा मुझे नहीं है.
हो सकता है ऐसे षड्यंत्र में और भी विलेज बैरिस्टरों के नाम आएं.अब तो उच्चाधिकारी ही अपने विभाग पर लगे इस छींटे के दाद धुल सकते है. विश्वाश किया जासकता है कोतवाली का दरोगा _सीओ का खेल यही समाप्त न हो.यह आम बात है और व्यवस्था परक खामी भी अनुसूचित जाति के मामलों में भी 80 प्रतिशत केश बनावटी व कथित रूप से संदिग्ध ही पाए जाते हैं .
वैसे भी पुलिस का दरोगा सर्वशक्तिमान ही हो जाता है चार्ज पाकर.दरोगा की संलिप्तता पर अभीततक कोई कार्यवाही न होना प्रश्नवाचक है.
आचार्य कौटिल्य